रांची :राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार ने आज राज भवन में राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के साथ उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक की। बैठक में राज्य की उच्च शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ और गुणवत्तापूर्ण बनाने हेतु कई निदेश दिए गए। राज्यपाल ने कहा कि विश्वविद्यालयों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, समयबद्ध परीक्षा आयोजन, परिणाम प्रकाशन एवं शैक्षणिक कैलेंडर के कठोर अनुपालन को सुनिश्चित करना होगा। परीक्षा समाप्ति के एक माह के भीतर परिणाम घोषित कर देना अनिवार्य हो। उन्होंने प्रत्येक विश्वविद्यालय को समयबद्ध दीक्षांत समारोह आयोजित करने का निदेश भी दिया। राज्य में Gross Enrollment Ratio (GER) वर्तमान में राष्ट्रीय औसत से लगभग 10% कम है। इसके लिए विशेष रूप से ग्रामीण और दूरदराज़ क्षेत्रों में नामांकन बढ़ाने की दिशा में ठोस प्रयास करने की जरूरत है। राज्यपाल ने कहा कि कुलपति केवल प्रशासक नहीं, बल्कि शैक्षणिक नेतृत्वकर्ता होते हैं। उनके दृष्टिकोण और प्रयास राज्य की उच्च शिक्षा को नई दिशा दे सकते हैं। उन्होंने PhD शोध की गुणवत्ता, मौलिकता एवं नवाचार पर विशेष ध्यान देने हेतु कहा। उन्होंने कहा कि कुछ शिक्षकों की कक्षा न लेने के संदर्भ में शिकायतें प्राप्त हुई हैं, ये गंभीर विषय है। सभी शिक्षक नियमित रूप से कक्षाएँ लें और कुलपति स्वयं भी कक्षा लेकर प्रेरणा का कार्य करें। उन्होंने विश्वविद्यालयों से रैंकिंग में सुधार हेतु ठोस प्रयास करने का आह्वान किया और कहा कि अब समस्या नहीं, समाधान पर चर्चा करें और झारखंड को उच्च शिक्षा में देश के अग्रणी राज्यों में स्थान दिलाएं। वित्तीय अनुशासन, पारदर्शिता एवं उत्तरदायित्व सुनिश्चित करने के लिए सभी विश्वविद्यालयों को समय पर वित्तीय अंकेक्षण कर उसकी प्रति राज भवन को उपलब्ध कराने का निदेश दिया गया। बैठक में क्रय-विक्रय एवं प्रशासनिक कार्यों में पारदर्शिता और भ्रष्टाचार के प्रति पूर्ण Zero Tolerance अपनाने की बात कही गई। राज्यपाल ने बैठक में निदेश दिया कि विश्वविद्यालयों में प्लेसमेंट सेल औपचारिकता तक सीमित रहकर प्रभावी रूप में क्रियाशील बनाया जाए। छात्रावास, पुस्तकालय, प्रयोगशालाएं एवं अन्य मूलभूत सुविधाओं के सुदृढ़ीकरण के साथ-साथ CCTV निगरानी, सुरक्षा गार्ड और एंटी-रैगिंग सेल की सक्रियता अनिवार्य हो। खराब CCTV को बदला जाए और उनके सुचारू संचालन हेतु AMC करें। राज्यपाल ने स्किल डेवलपमेंट, बेहतर इंटर्नशिप और उद्योगों से साझेदारी बढ़ाने की आवश्यकता जताई। उन्होंने ऑनलाइन फीडबैक प्रणाली लागू कर विद्यार्थियों से नियमित प्रतिक्रिया लेने की बात भी कही। रिक्त पदों की नियुक्तियों पर चर्चा करते हुए राज्यपाल ने कहा कि शिक्षकों एवं शिक्षकेत्तर कर्मियों के रिक्त पदों की नियुक्तियों में तेजी लाने हेतु राज्य सरकार से आग्रह किया गया है। बैठक में यह भी कहा गया कि आवश्यकता आधारित शिक्षकों का स्थानांतरण नहीं किया जाना चाहिए, जो जहाँ के लिए नियुक्त हुए हैं, वहीं रहेंगे। बैठक में यह तथ्य सामने आया कि कुछ स्थानों पर महाविद्यालय तो हैं लेकिन विद्यार्थी नामांकन नहीं ले रहे हैं। इस पर राज्यपाल महोदय ने निदेश दिया कि कुलपति स्वयं वहाँ जाकर माहौल बनाएं और जन-प्रतिनिधियों का सहयोग लें। उन्होंने मुख्यमंत्री फेलोशिप योजना के प्रभावी क्रियान्वयन पर बल देते हुए कहा कि इसमें कोई शिथिलता नहीं होनी चाहिए, पात्र विद्यार्थियों को इस छात्रवृत्ति योजना का लाभ मिलना चाहिए। इस अवसर पर यह कहा गया कि Self-Finance योजनान्तर्गत संचालित पाठ्यक्रमों में यदि विद्यार्थियों की रुचि नहीं है, तो उन्हें बंद कर देना चाहिए। राज्यपाल ने निदेशित किया कि विश्वविद्यालयों में ‘एक व्यक्ति – एक पद’ का सिद्धांत अपनाया जाए। सेवानिवृत्त शिक्षकों एवं कर्मियों को हर माह की 5 तारीख तक पेंशन हर हाल में मिल जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि आश्चर्य की बात है कि न्यायालय में दशकों से विश्वविद्यालय से संबंधित वाद लंबित है, अधिवक्ता केस लेकर बैठे हैं। लंबित न्यायिक मामलों का त्वरित समाधान सुनिश्चित करने हेतु गैर-क्रियाशील अधिवक्ताओं को बदलना नितांत आवश्यक है। राज्यपाल ने सभी विश्वविद्यालयों से अपेक्षा की कि उनके पास एक स्पष्ट विजन डॉक्यूमेंट और मास्टरप्लान होना चाहिए। बैठक में यह भी कहा गया कि निर्माणाधीन भवनों के अनुश्रवण हेतु कमिटी गठित की जाए। साथ ही, यह भी कहा गया कि जर्जर भवनों भवनों के उपयोग से बचें, ताकि कोई दुर्घटना न हो। इसके पुनर्निमाण हेतु उच्च शिक्षा विभाग को सूचित करें। राज्यपाल ने कुलपतियों से आह्वान किया कि वे दूरदर्शिता, सक्रियता और विवेकपूर्ण निर्णयों के माध्यम से झारखंड की उच्च शिक्षा व्यवस्था को राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप विकसित करें। उन्होंने स्पष्ट कहा कि लगभग तीन माह बाद पुनः समीक्षा बैठक आयोजित की जाएगी, जिसमें इन कार्यों की प्रगति का मूल्यांकन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि वे स्वयं उच्च शिक्षा में सुधार हेतु पूर्णतः प्रतिबद्ध हैं। जब भी उनकी सहायता की आवश्यकता हो, कुलपति निःसंकोच संपर्क करें। उन्हें विश्वास है कि यदि सभी कुलपति, विश्वविद्यालय पदाधिकारी और शिक्षाविद साथ मिलकर कार्य करें, तो झारखंड को उच्च शिक्षा के क्षेत्र में एक आदर्श राज्य के रूप में प्रस्तुत किया जा सकता है।