
संजीत यादव
रामगढ़: झारखंड की राजनीति एक बार फिर विवादों में घिर गई है। मांडू से आजसू पार्टी के गालीबाज विधायक तिवारी महतो का एक कथित वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें वे प्रशासनिक अधिकारियों के प्रति अशोभनीय भाषा का प्रयोग करते नजर आ रहे हैं।
वीडियो में विधायक महतो को कहते हुए सुना जा सकता है — …….. मारो साला, पैसा लेना है तो… एसडीओ क्या करेगा? इस बयान के सामने आते ही राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है।
सत्ता के मद में चूर जनप्रतिनिधि?
वीडियो में दिख रही भाषा और तेवरों से साफ झलकता है कि जनप्रतिनिधि के तौर पर विधायक किस तरह से सत्ता का इस्तेमाल कर रहे हैं। आरोप है कि विधायक महतो आम लोगों को धमकाते हैं, किसी का काम छीन लेते हैं तो किसी को खुलेआम गालियां देते हैं। यह वीडियो इस पूरे व्यवहार की एक झलक मात्र है।
विपक्ष ने बोला हमला, कहा – ‘प्रशासन का अपमान‘
विपक्षी दलों ने इस बयान को लोकतांत्रिक मर्यादा का उल्लंघन बताते हुए तीखी प्रतिक्रिया दी है। कांग्रेस, झारखंड विकास मोर्चा और भाजपा समेत कई दलों ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मामले में हस्तक्षेप कर कार्रवाई की मांग की है।
विपक्ष का कहना है कि — “अगर विधायक ही कानून की धज्जियां उड़ाएंगे तो आम जनता किससे उम्मीद रखे? मुख्यमंत्री को चाहिए कि ऐसे जनप्रतिनिधियों पर सख्त कार्रवाई करें।
विधानसभा में उठ सकता है मामला
विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक विपक्षी दल आगामी विधानसभा सत्र में इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाने की तैयारी में हैं। विधानसभा में विशेष चर्चा की मांग की जा सकती है।
प्रशासन जांच में जुटा, विधायक मौन
अब तक विधायक तिवारी महतो की ओर से इस वीडियो पर कोई सफाई नहीं दी गई है। हालांकि, झामुमो के कुछ नेताओं ने वीडियो को ‘संपादित’ बताया है और दावा किया है कि इसे संदर्भ से हटाकर पेश किया गया है।
प्रशासनिक सूत्रों का कहना है कि वायरल वीडियो की जांच की जा रही है। अगर वीडियो की सत्यता प्रमाणित होती है, तो प्रशासन कड़ी कार्रवाई कर सकता है।
राजनीतिक मर्यादा और भाषा का प्रश्न
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि जनप्रतिनिधियों को भाषा और आचरण में संयम बरतना चाहिए। इस तरह की बयानबाज़ी न केवल लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर करती है, बल्कि जनता के बीच सरकार की छवि को भी धूमिल करती है।