रांची: कभी-कभी अपने आला अधिकारियों की गलतियों को छुपाने के चक्कर में कनीय पदाधिकारी खुद ही नप जाते हैं. ऐसा ही मामला रांची में देखने को मिला है. जहां अपने आला अधिकारियों की गलती छुपाने के चक्कर में खुद पुलिस अवर निरीक्षक शौकत अली नप गए. पूरा मामला नगड़ी थाना क्षेत्र का है. जानकारी के अनुसार आरटीआई एक्टिविस्ट अरुण कुमार को जमीन दलाल ने बगैर रास्ता के जमीन बेच दी. पूरे मामले को लेकर आरटीआई एक्टिविस्ट ने जमीन माफियों के खिलाफ ऑनलाइन आवेदन दिया और कई अधिकारियों को भी इसकी जानकारी दी, लेकिन जमीन माफिया पर कोई कार्रवाई नहीं की गई. थक हारकर आरटीआई एक्टिविस्ट ने हाई कोर्ट के शरण में गया. हाई कोर्ट ने मामले की जांच करते हुए दोषियों पर कार्रवाई करने का आदेश दिया. हाई कोर्ट के आदेश के बाद रांची के वरीय पुलिस अधीक्षक चंदन सिन्हा ने पुलिस अवर निरीक्षक शौकत अली को निलंबित कर दिए .

सामाजिक कार्यकर्ता अरुण कुमार ने पुलिस पर आरोप लगाते हुए कहा कि भूमि घोटाला के विरुद्ध बीते 23/9/24 को ऑनलाइन शिकायत दर्ज कर FIR दर्ज करवाने एवं भू माफिया को खिलाफ कार्रवाई करने के लिए नगड़ी थाना प्रभारी के समक्ष गुहार भी लगाए लेकिन नगड़ी थाना प्रभारी द्वारा भू माफिया को बचाने के लिए मुझे चार महीने से परेशान किया. पूरे मामले की जानकारी रांची ग्रामीण एसपी को दिए. एसपी ने मामले को संज्ञान में लेते हुए एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया. आवेदक ने आगे आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने सभी लीगल डॉक्यूमेंट / पुख्ता साक्ष्यों को समर्पित किया था फिर भी थाना प्रभारी के साथ मिलीभगत के कारण माननीय न्यायालय के समक्ष पूर्णतः फर्जी एवं झूठे बयानों के आधार पर भू माफिया एंटीसिपेटरी बेल लेने में कामयाब रहा क्यों क्योंकि केस ट्रू होने के बाद अभियुक्त को गिरफ्तार नहीं किया गया और त्रुटिपूर्ण और आधा अधूरा रिपोर्ट देकर भू माफिया को जेल जाने से बचाया गया.अरुण कुमार ने कहा कि उन्होंने कई RTI आवेदनों को दर्ज कर सबूतों को हासिल किया एवं ,ED कार्यालय में आवेदन देते हुए रांची डीसी से भी गुहार लगया. लेकिन भूमिया पर कोई कार्रवाई नहीं थक हारकर उच्च न्यायालय में याचिका दर्ज करते हुए पूरे मामले की जांच ED और सीबीआई से करने के लिए प्रार्थना की .उन्होंने आगे आरोप लगाते हुए कहा कि भू माफिया ने सैकड़ों लोगों को गैरकानूनी रूप से भूमि बेचा है और विश्वासघात और धोखाधड़ी किया है ,CNT एक्ट का उलंघन किया है ,मनी लॉन्ड्रिंग और अन्य अपराधिक मामलों में संलिप्त है और एक दर्जन अपराधिक मुकदमों में नामजद अभियुक्त भी है. उच्च न्यायालय में दर्ज याचिका पर संज्ञान के पूर्व ही वरीय पुलिस अधीक्षक द्वारा अवर पुलिस निरीक्षक को त्रुटिपूर्ण और आधा अधूरा रिपोर्ट सौंपने के विरुद्ध निलंबित किया गया है.