रांची :झारखंड सरकार ने डिस्ट्रिक्ट मिनरल फाउंडेशन ट्रस्ट (DMFT) फंड के दुरुपयोग की मिल रही शिकायतों को गंभीरता से लिया है। राज्य के खनिज संपन्न जिलों में इस फंड के तहत विकास कार्यों के नाम पर अनियमितताएं सामने आने के बाद सरकार अब गहन ऑडिट कराने जा रही है। वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर के निर्देश पर पहले चरण में पांच जिलों—धनबाद, चाईबासा, चतरा, रामगढ़ और बोकारो—का ऑडिट किया जाएगा। इसके लिए वित्त विभाग की ओर से पांच अलग-अलग टीमें गठित की जाएंगी।
2015 से अब तक 16 हजार करोड़ से अधिक का संग्रह
डीएमएफटी की स्थापना वर्ष 2015 में केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री खनिज क्षेत्र कल्याण योजना (PMKKKY) के तहत की गई थी। इसका उद्देश्य खनन प्रभावित क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के सामाजिक, शैक्षणिक, स्वास्थ्य और आर्थिक उत्थान के लिए कार्य करना है। अगस्त 2025 तक इस फंड में कुल 16,657.95 करोड़ रुपये का संग्रह हो चुका है, जो खनन कंपनियों द्वारा दी जाने वाली रॉयल्टी का हिस्सा है।
निर्धारित उद्देश्यों से हटकर खर्चडीएमएफटी फंड का उपयोग शुद्ध पेयजल, स्वास्थ्य सेवाएं, शिक्षा, महिला-बाल कल्याण, कौशल विकास, सिंचाई, जल संरक्षण और पर्यावरण सुरक्षा के लिए किया जाना चाहिए। लेकिन विभिन्न जिलों से प्राप्त शिकायतों में इस राशि का उपयोग ऐसे कार्यों में किया गया जो खनन से प्रभावित समुदायों से सीधे जुड़े नहीं थे। उदाहरण के तौर पर, चतरा जिले में इस फंड से नियमित पेयजल रखरखाव जैसे कार्यों पर राशि खर्च की गई, जबकि यह जिला सामान्य योजना के तहत आता है। इसी तरह बोकारो में टेंडर प्रक्रिया में अनियमितता, हाईमास्ट लाइट और तकनीकी उपकरणों की खरीद में गड़बड़ियों की बात सामने आई है।
पीएजी रिपोर्ट में पहले ही हो चुकी है अनियमितताओं की पुष्टि
प्रिंसिपल ऑडिटर जनरल (PAG) की पूर्ववर्ती रिपोर्ट में भी करीब तीन हजार करोड़ रुपये के डीएमएफटी फंड की ऑडिट के दौरान गंभीर अनियमितताओं और संभावित धोखाधड़ी की बात सामने आई थी। रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि कई परियोजनाएं न तो पारदर्शी तरीके से स्वीकृत की गईं और न ही उनका लाभ वास्तव में खनन प्रभावित समुदायों तक पहुंच पाया।
पारदर्शिता और जवाबदेही की दिशा में कदम
राज्य सरकार का मानना है कि यह गहन ऑडिट न केवल डीएमएफटी फंड के दुरुपयोग को उजागर करेगा, बल्कि भविष्य में वित्तीय पारदर्शिता और जवाबदेही को भी सुनिश्चित करेगा।
धनबाद, जो कि राज्य का प्रमुख कोयला उत्पादक जिला है, वहां स्वास्थ्य और पर्यावरण पर फंड के उपयोग की बजाय भारी निर्माण कार्यों में पैसे खर्च किए गए, जिससे इसकी मूल भावना पर सवाल खड़े हो गए हैं।
चाईबासा में आदिवासी बहुल क्षेत्रों में जल संरक्षण योजनाओं की गंभीर कमी बताई गई है, जबकि रामगढ़ में खनन से प्रभावित किसानों को लाभ नहीं पहुंचने की शिकायतें हैं।
सरकारी टीमें अब यह जांचेंगी कि इन जिलों में डीएमएफटी फंड से किन योजनाओं को स्वीकृति मिली, वे योजनाएं वास्तव में किस हद तक प्रभावशाली रहीं और क्या उनका लाभ खनन प्रभावित परिवारों को सही तरीके से मिला या नहीं।