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EXCLUSIVE रिपोर्ट (Part 7): धंधा बंद, पैसा डूबा: पीड़ित ठेकेदारों की बर्बादी की कहानी

रांची: झारखंड के रामगढ़ जिले की सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड (CCL) की चार बड़ी परियोजनाओं—सारूबेड़ा, तापिन साउथ, जरंगडीह और सिरका—में हुए करोड़ों रुपये के घोटाले का असर अब स्थानीय ठेकेदारों की जिंदगी पर भारी पड़ रहा है। गुजरात की कंपनी कृष्णा इंफ्रास्ट्रक्चर ने कथित तौर पर बिना मशीनरी के काम करवाकर करोड़ों रुपये वसूले, जिससे कई स्थानीय एजेंसियां आर्थिक बर्बादी के कगार पर पहुंच गई हैं।

CCL की परियोजनाओं में काम करने वाले ठेकेदारों जैसे RAJ YASHI CONSTRUCTION और MONIKA ENTERPRISES ने बताया कि उन्होंने लाखों रुपये की मशीनरी, मजदूर और संसाधन लगा कर काम किया, लेकिन कंपनी ने उनके बिलों का भुगतान नहीं किया। RAJ YASHI के संचालक ने बताया, “हमने करीब ₹6 करोड़ का काम पूरा किया, लेकिन अब तक केवल ₹1.5 करोड़ की पेमेंट मिली है। बाकी का पैसा दब गया है।”इसी तरह, MONIKA ENTERPRISES का कहना है कि उन्हें ₹3 करोड़ के करीब भुगतान मिलना था, लेकिन सिर्फ ₹70 लाख मिले हैं। भुगतान न मिलने की वजह से ये कंपनियां कर्ज के बोझ तले दब चुकी हैं, कर्मचारियों को वेतन देने में असमर्थ हो गई हैं और अपनी मशीनें गिरवी रखना पड़ा है।

काम बंद, भविष्य अंधकारमय

पेमेंट न मिलने के कारण कई ठेकेदारों ने CCL के साथ काम करना बंद कर दिया है। इससे परियोजनाओं में भी काम ठप होने का खतरा मंडरा रहा है। “अगर जल्द भुगतान नहीं हुआ, तो हम और काम नहीं कर पाएंगे। हमारी हालत दयनीय है,” ठेकेदारों ने आक्रोश जताया।

जांच के नाम पर ठंडी हवा

पीड़ित ठेकेदारों ने मामले की गंभीरता को देखते हुए CBI, ED, NIA और CCL के CVO से स्वतंत्र जांच की मांग की है। हालांकि, अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। प्रशासन और CCL प्रबंधन की चुप्पी से ठेकेदारों में निराशा व्याप्त है।

कौन देगा जवाब?

यह मामला सिर्फ ठेकेदारों की आर्थिक हानि तक सीमित नहीं रह गया है। सवाल उठ रहे हैं कि आखिर ऐसे घोटाले के लिए जिम्मेदार कौन हैं? क्या CCL के अधिकारी, स्थानीय प्रशासन या राजनीतिक संरक्षण इस खेल के भागीदार तो नहीं? पीड़ित ठेकेदारों का कहना है कि उन्हें न्याय मिलने तक वे आवाज उठाते रहेंगे।

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