
बेनकाब हुई पुलिस-व्यवस्था की सौदेबाज़ी, अवैध धंधे पर चुप्पी क्यों?”
धनबाद: महुदा से जो ऑडियो सामने आया है, वह सिर्फ दो लोगों की बातचीत नहीं, बल्कि उस गहरी सच्चाई की परतें खोलता है जिसे अब तक लोग दबे स्वर में कहते थे कि कानून की वर्दी अब सौदे की टेबल पर रखी जाती है। जब अपराधी यह कहे कि “जैसे ही पैसे आएंगे, आपको दे देंगे”, और जवाब में वर्दीधारी यह पूछे कि “कौन सा केस है जो कोर्ट गए हो”, तो समझ लीजिए कि मामला बहुत आगे निकल चुका है। यह एक सामान्य लेन-देन नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम के भीतर घुसे उस दीमक का संकेत है, जो धीरे-धीरे कानून की बुनियाद को चाट रहा है। यह ऑडियो सच है या नहीं, इसकी पुष्टि तो जांच से होगी। लेकिन इससे उठे सवाल झूठ नहीं हैं। क्या एक आम नागरिक को भी ऐसी ‘सेटिंग’ की ज़रूरत पड़ेगी ताकि उसे न्याय मिल सके? क्या हर एफआईआर, हर केस, हर गिरफ्तारी से पहले अब ‘जुगाड़’ तय करेगा कि कौन जेल जाएगा और कौन बचेगा? हमारी न्याय प्रणाली की रीढ़ उसकी निष्पक्षता है। अगर उस पर ही सौदेबाज़ी की जंग लग गई, तो फिर लोकतंत्र की जड़ें भी हिल जाएंगी। अब वक्त है कि जिम्मेदार अफसर आगे आएं — और साफ करें कि वे सिंडिकेट के साथ हैं या जनता के साथ। सवाल सिर्फ ऑडियो का नहीं, सड़ चुके सिस्टम का है”
केस में नाम डाल दूं?’ — जवाब: ‘पैसे दे देंगे’… “कानून की किताब या रेट कार्ड?”
बाघमारा विधानसभा क्षेत्र में अवैध कारोबार का साम्राज्य किस हद तक फैल चुका है, इसका अंदाजा हाल ही में वायरल हुई एक कथित ऑडियो क्लिप से लगाया जा सकता है। सूत्रों के अनुसार इस ऑडियो में कथित तौर पर एक ओर आरपीएफ इंस्पेक्टर और दूसरी ओर एक अवैध कारोबारी के बीच की बातचीत रिकॉर्ड होने की बात बताई जा रही है, जिसने आमजन से लेकर पुलिस महकमे तक में हलचल मचा दी है। इस सनसनीखेज ऑडियो में दो आवाजें साफ सुनी जा सकती हैं—एक कथित रूप से महुदा आरपीएफ इंस्पेक्टर कुमार राजीव की, और दूसरी रथटांड, बाघमारा के मिराज आलम नामक अवैध कारोबार से जुड़ी एक कथित हस्ती की मानी जा रही है। जिनके बीच रुपये के लेन-देन और केस में फंसाने की धमकी की बातचीत सामने आई है। ऑडियो में कथित तौर पर इंस्पेक्टर राजीव मिराज से कहते सुने जा रहे हैं: “तुम मेरा काम नहीं किए।” इस पर मिराज आलम जवाब देता है: “सर, रुपये की जुगाड़ नहीं लगी है। जैसे ही आ जाते हैं, आपको दे देंगे। अभी भी कोर्ट में ही हूं।” इस पर इंस्पेक्टर की ओर से जवाब आता है: “कौन सा केस है, जो कोर्ट गए हो?” मिराज कहता है: “सर, जीएम के ऊपर गोली चलाये थे, उसी केस में।” वह केस नंबर 33/18, 34/18 एवं 36/18 का जिक्र करते हैं इस बातचीत ने न सिर्फ एक बड़े पुलिस-अपराधी गठजोड़ की आशंका को जन्म दिया है, बल्कि यह भी सवाल खड़ा कर दिया है कि जब कानून के रक्षक ही सौदेबाज़ी पर उतर आएं, तो जनता किस पर भरोसा करे? स्वतंत्र आवाज़ के पास मौजूद यह ऑडियो वायरल हो चुका है, हालांकि इसकी सत्यता की पुष्टि हमारी ओर से नहीं की गई है। बावजूद इसके, ऐसे कई क्लिप हैं जिसमें दर्ज बातचीत ने बाघमारा में अवैध धंधों, भ्रष्टाचार और पुलिस-व्यवस्था की गिरती साख को लेकर गहरे सवाल खड़े कर दिए हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि बाघमारा क्षेत्र में अवैध कोयला व्यापार, लोहा व्यपार, जुआ, शराब और भूमि माफिया का नेटवर्क लंबे समय से सक्रिय है, लेकिन इस वायरल ऑडियो ने पहली बार यह दिखा दिया है कि इन नेटवर्क्स के पीछे किनका “संरक्षण” है। अब देखना यह होगा कि इस ऑडियो के आधार पर उच्च स्तरीय जांच होती है या नहीं? क्या दोषियों के खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई होगी? या यह मामला भी महज़ एक और ‘वायरल क्लिप’ बनकर रह जाएगा?