रांची: झारखंड की शिक्षा व्यवस्था की हालत इस कदर बदहाल हो चुकी है कि झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद (JEPC) के बैंक खाते में मात्र ₹150 बचे हैं। समग्र शिक्षा अभियान के तहत केंद्र से फंड नहीं मिलने के कारण परिषद की सभी योजनाएं लगभग ठप पड़ गई हैं।
सूत्रों के अनुसार, सत्र 2025-26 के लिए केंद्र सरकार से झारखंड को कुल ₹1100 करोड़ मिलने थे, लेकिन अक्टूबर तक सिर्फ ₹267 करोड़ की राशि ही जारी की गई। शुरुआती महीनों में ही यह पूरी रकम खर्च हो गई। जबकि पहले छह माह में कम से कम ₹450 करोड़ का आवंटन मिलना अपेक्षित था। अब तक राज्य को ₹833 करोड़ की राशि मिलनी बाकी है।
केंद्र से आवंटन न आने का असर सीधे जेईपीसी के कामकाज और शिक्षा से जुड़ी योजनाओं पर दिखने लगा है। प्री-बोर्ड परीक्षा के प्रश्नपत्रों की छपाई, पुस्तकों की खरीद, स्कूल यूनिफॉर्म वितरण, पुस्तकालयों की स्थापना, जैसी आवश्यक योजनाएं पूरी तरह से रुक गई हैं।
कार्यालय में सन्नाटा, फाइलों की आवाजाही थमी
रांची स्थित जेईपीसी कार्यालय में पिछले एक सप्ताह से कामकाज लगभग ठप है। विभिन्न योजनाओं से जुड़ी फाइलें अलमारियों में अटकी पड़ी हैं। अधिकारी और कर्मचारी सभी अगली किस्त के आवंटन का इंतजार कर रहे हैं।
‘सीएम स्कूल ऑफ एक्सीलेंस’ की प्री-बोर्ड परीक्षा पर संकट
सबसे गंभीर असर सीएम स्कूल ऑफ एक्सीलेंस (SOE) की आगामी प्री-बोर्ड परीक्षा पर पड़ा है। 15 हजार विद्यार्थियों की इस परीक्षा के लिए प्रश्नपत्र छपाई, पैकिंग और वितरण में करीब ₹60 से ₹70 लाख की लागत आती है। लेकिन फिलहाल परिषद के पास इस खर्च के लिए पैसे नहीं हैं।
नतीजतन, परीक्षा की तारीख तय नहीं हो पा रही है। जब तक केंद्र से फंड नहीं मिलेगा, न तो प्रश्नपत्र छप सकेंगे और न ही परीक्षा आयोजित हो सकेगी। शिक्षा परियोजनाओं में पैसे की ऐसी तंगी ने राज्य की शिक्षा व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है।