धनबाद: अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (अभाविप) ने झारखंड सरकार द्वारा हाल ही में पारित राज्य विश्वविद्यालय विधेयक-2025 का तीव्र विरोध किया है। परिषद का मानना है कि इस विधेयक के माध्यम से विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता को समाप्त करने का प्रयास किया जा रहा है। यह संविधान की मूल भावना एवं संघीय ढांचे के प्रतिकूल है।
बताया गया कि विधेयक में महामहिम राज्यपाल के अधिकारों को कम करते हुए, कुलपति, प्रति-कुलपति एवं अन्य पदों की नियुक्ति का अधिकार राज्य सरकार को देने प्रावधान किया गया है। यह शिक्षा व्यवस्था की स्वतंत्रता पर सीधा हमला है। अभाविप ने स्पष्ट किया है कि राज्य सरकार पहले से ही जैक, जेपीएससी, जेएसएससी जैसी नियुक्ति संस्थाओं के संचालन में असफल रही है। बार-बार पेपर लीक, परीक्षा रद्द और भ्रष्टाचार जैसे मामलों ने राज्य सरकार की निष्पक्षता पर सवाल खड़े किए हैं। परिषद ने राज्य सरकार द्वारा प्रस्तावित झारखंड राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग का स्वागत तो किया है, लेकिन यह स्पष्ट किया कि इसका कार्य सिर्फ शिक्षक व शिक्षकेत्तर कर्मचारियों की नियुक्ति और पदोन्नति तक सीमित होना चाहिए। कुलपति जैसे सर्वोच्च शैक्षणिक पदों की नियुक्ति की शक्ति केवल महामहिम राज्यपाल के पास ही रहनी चाहिए। अभाविप के छात्र नेता शुभम हजारी ने बाघमारा विधायक शत्रुघ्न महतो से आग्रह किया है कि वे विधानसभा के मानसून सत्र में इस विधेयक की खामियों को जोरदार तरीके से उठाएं ताकि राज्य के विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता और शिक्षा व्यवस्था की निष्पक्षता को बचाया जा सके।