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मेदिनीनगर नगर निगम में ‘बाबा, बाबू और बैकवर्ड’ की तिकड़ी में जोरदार मुकाबला, मुस्लिम उम्मीदवार उतरे तो बदल जाएंगे सारे समीकरण!

पलामू: झारखंड कैबिनेट द्वारा 50 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण को मंजूरी देने के बाद राज्य में नगर निकाय चुनाव का बिगुल कभी भी बज सकता है। ऐसे में मेदिनीनगर नगर निगम की सियासत में हलचल तेज हो गई है। अगर यह सीट ओबीसी वर्ग के खाते में जाती है, तो मौजूदा महापौर अरुणा शंकर की राह आसान मानी जा रही है। लेकिन अगर सीट सामान्य श्रेणी में रही, तो यहां मुकाबला दिलचस्प होगा — ‘बाबा, बाबू और बैकवर्ड’ के बीच सीधी टक्कर तय मानी जा रही है।

मेदिनीनगर में संभावित प्रत्याशियों ने अभी से ही घर-घर संपर्क अभियान शुरू कर दिया है। हर वर्ग के नेता मतदाताओं के बीच पैर छूने से लेकर जातीय समीकरण साधने में लगे हुए हैं। दरअसल, यहां का चुनाव हमेशा से जातीय गणित के इर्द-गिर्द घूमता रहा है, और इस बार भी वही कहानी दोहराई जाती दिख रही है।

पिछले नगर निगम चुनाव में ‘बाबू राज’ कहे जाने वाले सिंह परिवार के प्रभाव को तोड़ते हुए बैकवर्ड समाज की अरुणा शंकर ने अप्रत्याशित जीत दर्ज कर ली थी। करीब 60 वर्षों के ‘बाबू दबदबे’ को खत्म करते हुए उन्होंने महापौर की कुर्सी पर कब्जा जमाया। अब फिर वही तीन ध्रुव — बाबा, बाबू और बैकवर्ड आमने-सामने हैं।

‘बाबा’ वर्ग के संभावित उम्मीदवारों की सूची लंबी है। मुख्य नामों में दीपक तिवारी, धनंजय त्रिपाठी, सुनील तिवारी, निर्मला तिवारी, संजीव तिवारी, राकेश तिवारी और परशुराम ओझा शामिल हैं। राजनीतिक समीक्षक मानते हैं कि अगर बाबा वर्ग से एक ही उम्मीदवार मैदान में उतरता है, तो जीत की संभावना काफी मजबूत होगी, लेकिन एकता बनाना सबसे बड़ी चुनौती है।

दूसरी ओर बाबू परिवार, जिसने दशकों तक मेदिनीनगर की राजनीति में राज किया, अब विरासत बचाने की लड़ाई में जुट गया है। सुरेंद्र सिंह और उनकी पुत्रवधू पूनम सिंह मैदान में सक्रिय हैं। वहीं पूर्व विधायक स्व. विदेश सिंह के भतीजे और पूर्व विधायक बिट्टू सिंह के चचेरे भाई मनोज सिंह भी दावेदारी जता रहे हैं। इधर डिप्टी मेयर मंगल सिंह मैदान में उतरने के लिए तैयार हो गए हैं, हालांकि इस वर्ग मनोज सिंह और पूनम सिंह के बीच कांटे की टक्कर बताई जा रही है।

बैकवर्ड समाज की ओर से मौजूदा महापौर अरुणा शंकर अभी भी मजबूत उम्मीदवार मानी जा रही हैं।उनके साथ अविनाश देव, विधायक प्रतिनिधि ट्विंकल गुप्ता, और जुगल किशोर जैसे चेहरे भी मैदान में उतरने की तैयारी में हैं। अगर बैकवर्ड समाज में अविनाश देव महापौर के पद पर चुनाव लड़ते हैं तो फिर अरुण शंकर के लिए लड़ाई आसान नहीं होगा.

इस बार मुकाबला और दिलचस्प हो सकता है क्योंकि मुस्लिम समुदाय से भी उम्मीदवार सामने आने लगे हैं।जेएमएम के जिला उपाध्यक्ष सानू सिद्दीकी ने मैदान में उतरने के संकेत दिए हैं। अगर मुस्लिम वोट एकजुट हुआ, तो यह समीकरण को पूरी तरह बदल सकता है। हालांकि समुदाय के भीतर भी कई नामों की चर्चा है।

मेदिनीनगर नगर निगम का चुनाव इस बार पूरी तरह जातीय और सामाजिक समीकरणों पर टिका दिख रहा है। अब देखना यह है कि क्या बाबा एकजुट होते हैं, बाबू परिवार अपनी खोई विरासत वापस ला पाता है, या फिर बैकवर्ड समाज से कोई दोबारा बाजी मार पता हैं. फिलहाल, मेदिनीनगर की गलियों में एक ही सवाल गूंज रहा है, बाबा, बाबू या बैकवर्ड में इस बार कौन मारेगा बाजी ?

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